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प्रेगनेंसी के लक्षण (symptoms), जांच, पुष्टि व महत्वपूर्ण जानकारियां

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प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में कई बदलाव आते हैं, साथ ही खुशी और उत्साह भी बढ़ता है। प्रेगनेंसी  एक उल्लेखनीय और परिवर्तनकारी अनुभव है। गर्भवती महिलाओं के लिए pregnancy symptoms की श्रृंखला को पहचानना और समझना महत्वपूर्ण है, जो अक्सर इस अत्यधिक परिवर्तनकारी घटना के साथ होते हैं।

गर्भधारण के समय से लेकर जन्म के दिन तक, एक महिला के शरीर में अविश्वसनीय परिवर्तन होते हैं। इस लेख में pregnancy symptoms in hindi पर चर्चा की जाएगी जो एक नए जीवन की शुरुआत का संकेत देते हैं।

प्रेगनेंसी को लेकर सलाह मशवरा करने में महिलाएं संकोच करती है। क्योंकि अधिकतर महिलाएं इस जानकारी को गुप्त रखना पसंद करती हैं। लेकिन प्रेगनेंसी के बारे में गलत जानकारी हानिकारक सिद्ध हो सकती है। इसलिए महिलाओं को प्रेगनेंसी का पूर्ण ज्ञान अनिवार्य है।

आज हम इस पोस्ट में प्रेगनेंसी के लक्षण, प्रेगनेंसी को कैसे कंफर्म करें, व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां और उनसे जुड़े सवाल जवाब सांझा करने वाले हैं।

प्रेगनेंसी जिसे हम हिंदी में गर्भावस्था भी कहते हैं में, क्या खाना चाहिए (what to eat in pregnancy), कैसे रहना चाहिए, इसके लक्षण क्या है (pregnancy symptoms), कैसे कंफर्म करें कि कोई महिला प्रेग्नेंट है (how to confirm pregnancy), के बारे में आज हम विस्तार पूर्वक बताएंगे

pregnancy confirmation in hindi

मां बनना किसी भी स्त्री में एक पूर्णता का अहसास जगाता है। इसीलिए हर स्त्री को इस पल का बेसब्री से इंतजार होता है। यही नहीं, pregnancy के लक्षणों के आधार पर वह जल्दी से जल्दी इस बारे में सबकुछ जानकर पूरी तरह आश्वस्त हो जाना चाहती है।

यही वजह है कि आज हर महिला प्रेग्नेंसी के लक्षण और गर्भावस्था के बारे में अन्य जरूरी जानकारियां प्राप्त करना चाहती है। गर्भधारण के संबंध में ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब महिलाएं जानना चाहती हैं, पर संकोचवश पूछ नहीं पातीं।

तो आइये स्त्रियों में गर्भावस्था के लक्षणों पर विस्तार से बात करते हैं। और जानते हैं कि वे कौन-कौन से symptoms हैं जिन्हें देखकर हम जान सकते हैं कि कोई स्त्री प्रेगनेंट है, या नहीं।

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गर्भावस्था (Pregnancy ke Lakshan) के सामान्य लक्षण

स्त्रियों में प्रेग्नेंसी के दौरान दिखने वाले लक्षणों की बात करें तो माहवारी का रुकना, मतली आना जैसे कई आम संकेत हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि कोई महिला गर्भवती है।

इसके अलावा आप यहां पर प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों के बारे में पूरी जानकारी विस्तार सहित प्राप्त कर सकते हैं।

गर्भावस्था-(Pregnancy ke Lakshan)-के-सामान्य-लक्षण

तो आइये देखते हैं किसी महिला के गर्भवती होने पर क्या-क्या लक्षण नज़र आते हैं:

  • छूटे हुए पीरियड्स: पीरियड्स का गायब होना प्रेगनेंसी के सबसे स्पष्ट और शुरुआती symptoms में से एक है। ऐसा तब होता है जब निषेचित अंडा गर्भाशय की परत से चिपक जाता है, जिससे पीरियड्स के दौरान गर्भाशय की दीवार सामान्य रूप से झड़ने से रुक जाती है।
  • मॉर्निंग सिकनेस: पहली तिमाही के दौरान, मतली और उल्टी, जिसे कभी-कभी मॉर्निंग सिकनेस भी कहा जाता है, आम लक्षण हैं। हालाँकि इस शब्द का अर्थ है कि ये लक्षण सुबह के समय होते हैं, ये दिन के किसी भी समय हो सकते हैं। यह बेचैनी की भावना हार्मोनल परिवर्तनों का परिणाम है।
  • थकान: प्रेगनेंसी के दौरान थकान की भावना प्रोजेस्टेरोन के ऊंचे स्तर के कारण होती है। बढ़ते भ्रूण को शरीर से अधिक देखभाल और समर्थन की आवश्यकता होती है, जिससे आराम और नींद अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • स्तन परिवर्तन: प्रेगनेंसी के कारण स्तनों में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। एरिओलर कोमलता, सूजन, और काला पड़ना अक्सर होने वाली घटनाएँ हैं। ये परिवर्तन, जिसमें बढ़ा हुआ रक्त प्रवाह और हार्मोनल उतार-चढ़ाव शामिल हैं।
  • जल्दी पेशाब आना: बार-बार बाथरूम जाना उस दबाव के कारण होता है जो फैलता हुआ गर्भाशय मूत्राशय पर डालता है। हार्मोनल परिवर्तन के कारण भी मूत्र उत्पादन बढ़ जाता है। यह पहली और तीसरी तिमाही में अधिक ध्यान देने योग्य लक्षण है।

गर्भावस्था की शुरुआत में जी मचलना और उबकाई आना

जी मिचलाना और उल्टी आती हुई महसूस होना प्रैग्नैंसी के प्रारंभिक लक्षणों में से एक है। हालांकि इसका कारण निश्चित रूप से नहीं बताया जा सकता, कि गर्भावस्था में स्त्रियों का जी क्यों मिचलाने लगता है।

pregnancy ke lakshan

डॉक्टर मानते हैं कि ऐसा गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों में आने वाले हार्मोन संबंधी बदलावों की वजह से होता है।

मासिक धर्म का रुक जाना

गर्भ ठहरते ही स्त्रियों के ‘पीरियड्स‘ आने बंद हो जाते हैं। स्त्रियों में गर्भावस्था का सबसे अधिक ज़ाहिर होने वाला यह एक सामान्य लक्षण है।

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प्रेगनेंसी की शुरुआत में हल्की ‘ब्लीडिंग’

चूंकि गर्भधारण की प्रक्रिया में जब भ्रूण गर्भाशय में प्रवेश करता है तो उसकी रक्तवाहिनियां यानी ब्लड-वेसेल्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, और इस तरह हल्की ब्लीडिंग नजर आ सकती है।

pregnancy ke lakshan

आमतौर पर यह लक्षण गर्भाधान से दस-पंद्रह दिनों के भीतर दिख जाता है। जिसे मेडिकल की भाषा में ‘इंप्लांटेशन-ब्लीडिंग’ कहते हैं। हालांकि सभी मामलों में इंप्लांटेशन ब्लीडिंग नजर आना जरूरी नहीं।

थकान बढ़ना और मॉर्निंग सिकनेस

गर्भधारण के समय स्त्रियों में ‘प्रोजेस्ट्रॉन’ हार्मोन्स की वजह से थकान, सुस्ती और ‘मॉर्निंग-सिकनेस’ महसूस किया जा सकता है। यह भी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है।

स्तन और निप्पल के रंग बदलना

गर्भावस्था में स्त्रियों के निप्पल्स का रंग गहरा भूरा हो जाता है। ऐसा प्रेग्नेंसी के दौरान आये ‘हॉर्मोनल चेंज’ के कारण होता है। इसके साथ ही ब्रेस्ट व निप्पल्स में तनाव और दर्द भी महसूस हो सकता है। प्रेग्नेंसी का यह लक्षण अक्सर कुछेक हफ्ते बाद समाप्त हो जाता है, क्योंकि तब तक हार्मोनल बदलावों के मुताबिक शरीर खुद को ढाल लेता है।

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प्रेगनेंसी के दौरान मूड-स्विंग और सरदर्द

प्रेग्नेंसी के वक्त होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के चलते स्त्रियों के ‘मूड’ में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। दरअसल गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में ब्लड-सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे सिरदर्द जैसी समस्या भी आ सकती है। गर्भावस्था का यह लक्षण करीब-करीब सभी स्त्रियों में आम है।

गर्भावस्था में बार-बार टॉयलेट की तलब

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गर्भावस्था में स्त्रियों को थोड़ी-थोड़ी देर पर टॉयलेट जाने का मन करता रहता है। क्योंकि इस समय शरीर में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है, और किडनी लगातार उसे ‘यूरिन’ यानी मूत्र के ज़रिये बाहर निकालती रहती है।

खाने की इच्छा में बदलाव

प्रैग्नैंसी के वक्त जीभ का स्वाद बिगड़ जाता है। खाने की पसंदगी भी बदल जाती है। इसीलिये गर्भावस्था में अक्सर तीखी और चटपटी चीजें खाने का मन करता है। कभी-कभी किसी एक चीज को ही बार-बार खाने का मन करता है। इसे ही प्रेग्नेंसी में ‘फ़ूड-क्रेविंग’ कहा जाता है।

गर्भावस्था में पाचनशक्ति का मंद पड़ना और पेट की समस्याएं

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की पाचन-क्रिया धीमी पड़ जाती है। इसके चलते गर्भावस्था में कब्ज, गैस, ब्लॉटिंग इत्यादि पेट से संबंधित समस्याएं उभर सकती हैं। गर्भावस्था में प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन्स का बढ़ा स्तर भी पाचन-तंत्र से जुड़ी तमाम दिक्कतें पैदा कर सकता है।

बता दें कि गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने में पेट के भीतर सूजन की समस्या भी आम है। जिसके चलते पेटदर्द महसूस हो सकता है। यह भी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। प्रेग्नेंसी के ज्यादातर मामलों में सूजन से होने वाला यह पेटदर्द कुछ हफ्तों में दूर हो जाता है। लेकिन अगर दिक्कत बढ़ती है तो हमें तुरंत किसी नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये।

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गर्भावस्था के दौरान बढ़ती है सूंघने की क्षमता

क्या आप जानते हैं, कि प्रेग्नेंसी में महिलाओं की सूंघने की क्षमता बढ़ जाती है। ऐसा शरीर में आये हॉर्मोनल परिवर्तनों की वजह से होता है। यह लक्षण गर्भावस्था के पहले महीने में ही दिख जाता है।

प्रेगनेंसी की जांच व पुष्टि कैसे करें – How to Check Pregnancy

यहां पर हम बताएंगे की प्रेगनेंसी की जांच व पुष्टि करने के क्या-क्या तरीके हैं। सही तरीके का चयन करना जरूरी है क्योंकि सही तरीका ही यह पुष्टि करेगा कि कोई भी महिला प्रेग्नेंट से है या नहीं।

pregnancy confirmation in hindi

नीचे दिए गए प्रयोगों से प्रेगनेंसी के होने अथवा न होने का पता लगाया जा सकता है। आइए इनका विस्तार पूर्वक अध्ययन करते हैं

  • प्रेगनेंसी टेस्ट किट: यह किट आमतौर पर केमिस्ट शॉप से आसानी से खरीदी जा सकती है। इसे हम ऑनलाइन आर्डर भी कर सकते हैं और घर पर ही प्रेगनेंसी को चेक किया जा सकता है। यदि आप इस किट को ऑनलाइन ऑर्डर करना चाहते हैं तो यहां पर क्लिक करके इसे अपने घर पर ही मंगवा सकते हैं और इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रेगनेंसी टेस्ट किट दर्शाए गए सभी तरीकों में से सुरक्षित व एक्यूरेट है।
    प्रेगनेंसी टेस्ट किट को इस्तेमाल करना भी आसान है। इस्तेमाल करने के तरीके आए हुए पैकेट पर ही दर्शाए गए हैं। इसे इस्तेमाल करने से पहले इसे पढ़ ले ताकि कोई गलती का विकल्प ना रह जाए। यदि कोई महिला कंसीव करना चाहती हैं या कोशिश कर रही हैं और उन्हें मासिक धर्म आने में विलंब हो जाता है या नहीं आता है तो यह गर्भावस्था की निशानी हो सकती है। ऐसे में प्रेगनेंसी टेस्ट किट को मंगवा कर उपयोग करना चाहिए
  • बेकिंग सोडा से: बेकिंग सोडा के जरिए घर पर ही प्रेगनेंसी की जांच व पुष्टि की जा सकती है। यह सुझाए गए तरीकों में से काफी आसान है और घर पर ही किया जा सकता है। क्योंकि घरेलू नुस्खे काफी आसान व घर पर ही किए जा सकते हैं इसलिए आमतौर पर लोग सबसे पहले घरेलू नुक्से ही अपनाते हैं।
    बेकिंग सोडा आमतौर पर हर घर में उपलब्ध होता है इसके जरिए भी महिलाएं प्रेगनेंसी का टेस्ट कर सकती हैं बेकिंग सोडा से प्रेगनेंसी चेक करने के लिए किसी डिस्पोजेबल कब या किसी डिस्पोजेबल बर्तन में दो चम्मच बेकिंग सोडा ले लेवे।
    अब इसमें एक चम्मच यूरिन का मिला दे। अगर देखते ही देखते कुछ देर में इसमें से बुलबुले उठने लगे तो समझ ले प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव है। यह टेस्ट आमतौर पर सुबह-सुबह किया जाता है। इस टेस्ट को करने के लिए सुबह उठते ही करें।
  • पाइन सोल से: पाइन सोल के जरिए भी प्रेगनेंसी का टेस्ट घर पर ही किया जा सकता है जो कि एक काफी पुराना घरेलू नुस्खा है। पाइन सोल आसानी से किसी भी राशन की दुकान से लिया जा सकता है। आमतौर पर यह घर में भी पाया जाता है।
    पाइन सोल से प्रेगनेंसी की जांच करने के लिए किसी डिस्पोजेबल गिलास या कप में बराबर मात्रा में पाइन सोल व यूरिन ले ले और इसे अच्छी तरह मिला लें। कुछ समय तक प्रतीक्षा करें। यदि इस सलूशन का रंग बदल जाए तो यह गर्भवती होने के लक्षण है। कोशिश करें कि यह प्रयोग सुबह उठने के बाद किया जाए।
  • डिटॉल (Dettol) के जरिए: डिटॉल जो कि एक एंटीसेप्टिक सलूशन है आमतौर पर हर घर में पाया जाता है। यह भी प्रेगनेंसी की जांच व पुष्टि करने में मदद करता है। डिटॉल के जरिए प्रेगनेंसी चेक करने के लिए किसी शीशी में या डिस्पोजेबल कप या गिलास में 20ml डिटॉल व 20ml यूरिन ले लेवे। इसे अच्छी तरह मिक्स कर लें।
    कुछ देर प्रतीक्षा करें और देखें की डिटॉल व यूरिन अलग अलग हो गया है या नहीं। यदि दोनों अलग-अलग हो गए हैं और यूरिन डिटॉल के ऊपर तैरने लगा है तो इसका मतलब रिपोर्ट पॉजिटिव है। जो प्रेगनेंसी की पुष्टि करती है। यदि यूरिन व डिटॉल अलग अलग न होकर मिक्स हो गए हैं और एक सफेद रंग का पदार्थ बन गया है। तो यह प्रेगनेंसी ना होने के संकेत देता है।
  • यूरिन पर सफेद परत: प्रेगनेंसी की पुष्टि यूरिन पर बने सफेद परत से भी की जा सकती है। इस टेस्ट को करने के लिए सुबह उठकर किसी डिस्पोजेबल कप या गिलास में यूरिन इकट्ठा कर ले। थोड़ी प्रतीक्षा करें और यह जांच करें कि यूरिन पर एक सफेद परत बन गई है या नहीं। यदि हां तो रिपोर्ट पॉजिटिव है यदि नहीं तो नेगेटिव।
  • विनेगर से प्रेगनेंसी की जांच: विनेगर से भी प्रेगनेंसी की जांच की जा सकती है। विनेगर आमतौर पर हर घर में पाया जाता है। प्रेगनेंसी की जांच करने के लिए विनेगर को किसी डिस्पोजेबल कप या शीशे के बर्तन में ले ले। बराबर ही मात्रा में यूरिन ले ले। दोनों को मिक्स कर ले और थोड़ा इंतजार करें। थोड़ी देर बाद यदि विनेगर का रंग बदल जाता है तो यह टेस्ट के पॉजिटिव होने की पुष्टि करता है।

ऊपर दिए गए विकल्पों से आप घर पर ही प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं। हालांकि हम सुझाव देते हैं कि एक्यूरेट रिजल्ट जानने के लिए पहले विकल्प का पालन करें। जोकि प्रेगनेंसी टेस्ट किट के थ्रू किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले।

अब तक कई चर्चा से हमें यह काफी-कुछ साफ हो गया होगा कि प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण क्या-क्या हैं, और हम कैसे पता लगायें कि कोई महिला गर्भवती है कि नहीं। इसके बावजूद अक्सर गर्भावस्था से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां और सवाल पूछे जाते हैं,

जिनका समाधान इस प्रकार है –

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गर्भावस्था के दौरान अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रश्न 1- गर्भावस्था का पता कितनी जल्दी लग सकता है?

उत्तर – गर्भधारण यानी प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण 6-14 दिनों में दिखने लगते हैं।

प्रश्न 2- प्रैग्नैंसी के शुरुआती लक्षण क्या-क्या हैं?

उत्तर – गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में जी मिचलाना, उल्टी, शरीर का तापमान बढ़ना, स्तन में तनाव और दर्द, उसकी घुंडियों का रंग गहरा होना, बालों में चमक, मुंह में धात्विक स्वाद सा अनुभव होना, योनि से सफेद चिपचिपा तरल निकलना, थकान, सरदर्द, सुस्ती और ‘मॉर्निंग-सिकनेस’ की शिकायत, पेट में सूजन और दर्द, माहवारी रुकना, बार-बार पेशाब की तलब लगना, सूंघने की क्षमता बढ़ जाना आदि हैं।

प्रश्न 3- प्रेग्नेंसी के लिए डॉक्टर से कब चेक करायें?

उत्तर – प्रैग्नैंसी की उम्मीद होने पर माहवारी रुकने के दस-बारह दिन बाद डॉक्टर से इसकी जांच कराई जा सकती है।

प्रश्न 4- माहवारी के कितने दिन बाद संबंध बनाने से गर्भधारण की संभावना ज्यादा होती है?

उत्तर – यह महिलाओं के अंड-निषेचन यानी ‘ओव्यूलेशन’ पर निर्भर करता है। अमूमन ऐसा माना जाता है कि मासिक धर्म आने के बारह-चौदह दिन बाद यौन-संबंध बनाने से ‘प्रेग्नेंसी चांसेज़’ अधिक हो जाते हैं।‌

प्रश्न 5- प्रैग्नैंसी का पहला सप्ताह कब से जोड़ा जाता है?

उत्तर – प्रेग्नेंसी का पहला हफ्ता अंतिम माहवारी आने के पहले दिन से शुरू हो जाता है।

प्रश्न 6- प्रेग्नेंसी की शुरुआत में कैसा महसूस होता है?

उत्तर – प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में पेट के निचले हिस्से या पेडू में तनाव और दर्द महसूस होना एक आम बात है। यह संकेत गर्भावस्था के शुरुआती 18 से 24 सप्ताह के अंदर नजर आने लगता है। जिसमें गर्भाशय का आकार बढ़ने के चलते गर्भवती महिलाओं को उठने, बैठने, खांसने, छींकने या फिर यौन संबंध बनाने जैसे कामों के दौरान पेट के निचले हिस्से में खिंचाव और हल्का दर्द महसूस होता है।

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निष्कर्ष

शरीर एक नए जीवन को बनाने और बनाए रखने की अद्भुत प्रक्रिया को समायोजित करने के साधन के रूप में pregnancy symptoms का अनुभव करता है।

भले ही इन लक्षणों को आमतौर पर सामान्य माना जाता है, गर्भवती महिलाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे किसी भी चिंता के बारे में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के साथ ईमानदारी से चर्चा करें और यदि आवश्यक हो तो सलाह लें।

हालाँकि हर प्रेगनेंसी अलग होती है, लेकिन इन विशिष्ट लक्षणों को जानने से महिलाओं को अधिक तैयार और आत्मविश्वास महसूस करने में मदद मिल सकती है।

इस तरह हम देख सकते हैं कि अगर सही जानकारी हो तो प्रेग्नेंसी का पता शुरुआती दौर में ही आसानी से लगाया जा सकता है। अब तक की चर्चा में आए गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी के किसी भी लक्षण को भांपकर आप बता सकते हैं कि कोई स्त्री प्रेगनेंट है, या नहीं।

आपको बता दें कि हम सबकी शारीरिक संरचना और क्रियाविधि में फ़र्क होता है, और यह भी संभव है कि किसी-किसी में गर्भधारण के बावज़ूद गर्भावस्था के लक्षण न नज़र आयें।

इसलिये प्रेग्नेंसी की संभावना होने पर बिना देर किए सबसे पहले हमें अपने नजदीकी डॉक्टर या किसी ‘गायनेकोलॉजिस्ट’ से संपर्क करना चाहिये।

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