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पाइल्स या बवासीर का उपचार (Piles Treatment in Hindi): प्रकार, लक्षण, इलाज व रोकथाम

दुनिया भर में लाखों लोग बवासीर से परेशान हैं, जिसे piles भी कहा जाता है, यह एक आम और अक्सर अप्रिय बीमारी है। बवासीर की विशेषता गुदा और मलाशय में बढ़ी हुई और चिड़चिड़ी रक्त वाहिकाएं हैं, जिसके परिणामस्वरूप खून का बहना, खुजली और असुविधा हो सकती है।

शुक्र है की, लक्षणों को कम करने और उपचार को योगदान देने के लिए कई कुशल उपचार उपलब्ध हैं। हम इस लेख में piles treatment in hindi, के कई पहलुओं की जांच करेंगे।

पाइल्स यानी बवासीर की समस्या आजकल आम होती जा रही है अतः इसके बारे में पूरी जानकारी होना अति आवश्यक है। सही ज्ञान न होने पर यह बीमारी बढ़ जाती है और काफी दुर्लभ परिणाम सामने लाती है। अतः इस बीमारी का ज्ञान होना जरूरी है ।

आज हम आपको इस बीमारी से जुड़ी सभी जानकारी देंगे जैसे यह किन कारणों से होती है, लक्षण क्या है, इनकी स्टेज क्या है, कैसे बचाव किया जा सकता है, व इसका ट्रीटमेंट क्या है। आइए इसे डिटेल में समझते हैं

‘पाइल्स’ और ‘बवासीर’ क्या है (What is Piles)

बवासीर या पाइल्स, गुदा और मलाशय में रक्त वाहिकाओं के बढ़ने और जलन को कहते हैं। जब ये रक्त वाहिकाएं बहुत अधिक दबाव में होती हैं, तो वे बढ़ सकती हैं और ऊतक समूह बना सकती हैं जो चोट पहुंचाते हैं और अन्य लक्षण पैदा करते हैं।

पाइल्स (piles) को हिंदी में बवासीर भी कहते हैं। पाइल्स की परेशानी अक्सर तेज मिर्च-मसाले वाला भोजन करने या फिर पुरानी कब्ज (constipation) की वजह से भी हो सकता है।

piles details in hindi

असल में जब किसी भी कारणवश दबाव पड़ने से मलाशय (rectam) और गुदा-द्वार की भित्तियों में सूजन या जलन होती है, तो यह स्थिति धीरे-धीरे बवासीर अथवा पाइल्स का रूप धारण कर लेती है।

आहार परिवर्तन

  • अधिक फाइबर खाएं: उच्च फाइबर वाला आहार खाने से मल नरम हो जाता है और बार-बार मल त्यागने को बढ़ावा मिलता है, जिससे गुदा क्षेत्र पर दबाव कम हो जाता है।    
  • हाइड्रेटेड रहें: मल को नरम रखने और कब्ज से बचने के लिए बहुत सारा पानी पीने की आवश्यकता होती है।

शौचालय की अच्छी आदतें

  • जोर लगाने से बचें: मलत्याग करते समय जोर लगाने से बवासीर की स्थिति खराब हो सकती है। सुनिश्चित करें कि आप आवश्यकता से अधिक समय तक शौचालय का उपयोग करने से बचें।
  • स्क्वाट: टॉयलेट का उपयोग करते समय, आसान, कम दर्दनाक मल त्याग की सुविधा के लिए अपने पैरों को ऊपर उठाएं।

नियमित व्यायाम

व्यायाम एक स्वस्थ पाचन तंत्र को प्रोत्साहित करता है और कब्ज को रोकने में सहायता करता है, जो अक्सर बवासीर का कारण होता है। 

उपचार के विकल्पों में ओवर-द-काउंटर दवाएं और सामयिक उपचार भी शामिल हैं, साथ ही आहार और जीवनशैली समायोजन में फाइबर का सेवन बढ़ाना और अन्य आहार परिवर्तन शामिल हैं।

अधिक गंभीर मामलों में रबर बैंड लिगेशन, स्क्लेरोथेरेपी, इंफ्रारेड जमावट, या सर्जिकल एक्सिशन (हेमोइडेक्टोमी) जैसे चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

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क्या पाइल्स का ट्रीटमेंट उपलब्ध है? (Piles Treatment in Hindi)

आंकड़ों के मुताबिक आज हर चार में से एक व्यक्ति पाइल्स या बवासीर की समस्या से पीड़ित है। हालांकि अमूमन पाइल्स की समस्या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ‘ट्रिगर’ नहीं करती, पर समय रहते इलाज पर ध्यान न दिये जाने पर यह समस्या अपने आप में काफी गंभीर रूप धारण कर सकती है।

क्या-पाइल्स-का-ट्रीटमेंट-उपलब्ध-है_

मलत्याग के समय पाइल्स का दर्द अपने चरम पर होता है। हालांकि पाइल्स का इलाज उपलब्ध है। और पाइल्स के ट्रीटमेंट (piles treatment) के लिये आप एलोपैथिक या हर्बल कोई भी तरीका अपना सकते हैं।

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पाइल्स कितने प्रकार की होती है (Types of Piles in Hindi)

पाइल्स या बवासीर चार प्रकार की होती है– आंतरिक बवासीर, बाहरी बवासीर, प्रोलैप्स्ड बवासीर और खूनी बवासीर। अब हम इनमें से प्रत्येक के बारे में क्रम से बात करेंगे –

types of piles

  • आंतरिक बवासीर – आंतरिक बवासीर के मस्से गुदा की भीतरी दीवार पर काफी अंदर की ओर पाये जाते हैं, इसलिये नज़र नहीं आते। हालांकि आंतरिक बवासीर होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, इसका इलाज पूरी तरह संभव है। और अक्सर आंतरिक बवासीर समय के साथ खुद ही ठीक हो जाते हैं।
  • बाहरी बवासीर – यह ठीक मलद्वार पर ही स्थित होता है। और आंखों से देखा जा सकता है। कुछ मामलों में इस तरह का बवासीर मलाशय की सतह पर गांठ की तरह दिखाई देता है एक्सटर्नल पाइल्स में दिखाई देने वाले प्रमुख लक्षण हैं – गुदा के आसपास की त्वचा पर जलन, खुजली, दर्द, सूजन और ब्लीडिंग की समस्या।
  • प्रोलेप्सड पाइल्स – प्रोलेप्सड पाइल्स में बवासीर किसी सूजी हुई गांठ जैसी गुदा से बाहर निकली दिखती है। प्रोलेप्सड पाइल्स की दिक्कत आंतरिक बवासीर में सूजन आने की वजह से पैदा होती है।
  • खूनी बवासीर – खूनी बवासीर पाइल्स की समस्या की एक गंभीर स्थिति है। इसमें खून के थक्के बनते हैं; और यह स्थिति आंतरिक और बाह्य दोनों तरह के पाइल्स में आ सकती है। इसमें गुदा के आसपास दर्द काफी ज्यादा होता है।

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पाइल्स यानी बवासीर होने के कारण (Causes of Piles in Hindi)

वास्तव में पाइल्स यानी बवासीर होने की ठीक-ठीक वजह जानना अक्सर मुश्किल होता है। क्योंकि पाइल्स के बहुत सारे अलग-अलग तरह के कारण हो सकते हैं।

piles causes in hindi

हां, पाइल्स होने की जो भी वजह हो, सबमें एक बात ‘कॉमन’ सी है। कि जब भी हमारे मलाशय और गुदा-द्वार वाले क्षेत्रों पर तनाव या दबाव बढ़ता है, पाइल्स की संभावना बढ़ जाती है।

आपको बता दें कि पाइल्स के दाने गुदा के आसपास की त्वचा पर या फिर मलाशय के भीतर भी हो सकता है। तो आइये देखें पाइल्स होने के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं –

  • गर्भावस्था में गर्भाशय फैलने से मलाशय आदि क्षेत्रों पर दबाव बढ़ता है, और इसलिये पाइल्स होने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं।
  • 65 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध व्यक्तियों में पाइल्स से सुरक्षित रखने वाले ऊतक खत्म हो जाते हैं, जिससे पाइल्स या बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बार-बार दस्त आने से भी पाइल्स हो सकती है। क्योंकि दस्त के दौरान हमारी गुदीय पेशियों को खासा तनाव सहन करना पड़ता है।
  • पुरानी कब्ज और मलत्याग की दिक्कतें पाइल्स या बवासीर होने की एक प्रमुख वजह है। मलत्याग के समय अधिक जोर लगाने पर मलाशय और गुदा के आसपास की नसों पर खिंचाव महसूस किया जाता है, और इस तरह पाइल्स के दाने विकसित हो जाते हैं।
  • देर तक एक ही स्थिति में बैठे रहना भी पाइल्स की समस्या को आमंत्रित करना ही है। इसलिये ज्यादातर बैठकर काम करने वाले, मसलन ड्राइवर्स, क्लर्क या फिर दुकान पर बैठकर काम करने वाले लोगों में यह ‘रिस्क’ कहीं अधिक होता है।
  • अपनी सामर्थ्य से अधिक वजन उठाने पर भी गुदा की पेशियों पर दबाव पड़ता है, और सूजन उत्पन्न हो सकती है। इसलिये बहुत भारी वजन उठाने से भी पाइल्स यानी बवासीर की दिक्कत हो सकती है।
  • इन सबके अलावा आपको जेनेटिक वजहों के चलते भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

ग्रेड-4 हेमोरॉइड क्या है (What is Grade-4 Hemorrhoids)

 ग्रेड-4 हेमोरॉइड भी पाइल्स की एक चिंताजनक स्थिति है। इसमें बवासीर के दाने गुदा से बाहर निकल आते हैं, जो वापस अंदर नहीं किये जा सकते।

grades of piles and treatment

ज्यादातर मामलों में ग्रेड-4 हेमोरॉइड के इलाज के लिये डॉक्टर ‘सर्जरी’ की सलाह देते हैं। ये प्रोलेप्सड और स्थाई किस्म के पाइल्स होते हैं, जिसके लिये तुरंत इलाज़ की जरूरत होती है।

बवासीर अथवा पाइल्स के लक्षण क्या हैं (Piles Symptoms in Hindi)

पाइल्स या बवासीर के लक्षण हेमोरॉइड के किस्म पर ‘डिपैंड’ करते हैं। इस प्रकार बवासीर के पीड़ितों को कुछ अलग तरह के लक्षण दिख सकते हैं।

जैसे कि आंतरिक यानी ‘इंटरनल पाइल्स’ की समस्या में ज्यादा दर्द नहीं महसूस होता। और इसमें पाइल्स के दाने भी अक्सर नज़र नहीं आते, क्योंकि ये गुदा के भीतरी हिस्से में स्थित होते हैं। इसमें पीड़ित को मलत्याग के समय काफी दिक्कत महसूस होती है, और ‘ब्लीडिंग’ भी हो सकती है।

बाहरी या ‘एक्सटर्नल पाइल्स’ होने पर इसे आंखों से देखा जा सकता है। इसमें गुदा के आसपास स्थित नसों में सूजन हो जाती है, और मलत्याग के समय दर्द और रक्तस्राव की दिक्कत होती है।

जबकि ‘थ्रोम्बोस्ड पाइल्स’ की समस्या होने पर इन सारी समस्याओं के साथ ही गुदा-द्वार पर गांठें भी पड़ जाती हैं। थ्रोम्बोस्ड पाइल्स में गुदा के आसपास जलन और सूजन महसूस होती है और गुदीय पेशियों में तेज दर्द होता है।

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पाइल्स यानी बवासीर की जांच (Tests for Piles)

पाइल्स या बवासीर की जांच के लिए डॉक्टर आपके ‘रैक्टम’ यानी मलाशय और ‘बट सेंट्रिक टच’ की जांच करते हैं। इसे कंप्यूटर और ‘विज़ुअल’ तरीके से भी किया जाता है।

कंप्यूटर की सहायता से पाइल्स टेस्ट करते समय डॉक्टर दस्ताने पहनकर ‘रेक्टम’ में उंगली डालकर किसी असामान्य ग्रंथि की मौजूदगी का पता लगाते हैं। ‘पाइल्स-टैस्ट’ की यह प्रक्रिया आमतौर से इंटरनल पाइल्स के मामले में उपयुक्त होती है।

लेकिन बहुत से मामलों में ‘रेक्टल-एग्ज़ामिनेशन’ के बावजूद पाइल्स का पता नहीं लग पाता। ऐसे में डॉक्टर्स रेक्टम यानी मलाशय व कोलोन के पश्चभाग को ‘प्रोक्टोस्कोप’ और ‘एनोस्कोप’ से देखते हैं।

अगर डॉक्टर को लगता है कि गुदा-मार्ग से ब्लीडिंग की वजह पाइल्स के अलावा कुछ और संभव है, तो ‘एनोस्कोपी’ की प्रक्रिया अपनाई जाती है। और अगर ब्लीडिंग पेट के अन्य किसी हिस्से से हो रही है, तो सिग्माइडोस्कोपी (sigmoidoscopy) अथवा कोलोनोस्कोपी की जाती है।

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पाइल्स या बवासीर का उपचार (Piles Treatment in Hindi)

पाइल्स के उपचार में सर्जिकल और नॉन-सर्जिकल दोनों तरह के तरीके इस्तेमाल किये जाते हैं। पाइल्स के इलाज के नॉन-सर्जिकल तरीकों में समुचित आहार-विहार, नियमित व्यायाम, ‘मल-सॉफ़्टनर’ का इस्तेमाल, गर्म सिट्ज बांधना और क्रीम, मरहम आदि का उपयोग करना शामिल है।

piles treatment in hindi

जबकि पाइल्स यानी बवासीर के उपचार के सर्जिकल तरीके में ‘स्केलपेल’ का उपयोग करते हुए पाइल्स वाली जगह चीरा लगाते हैं। और इसके बाद मस्सों को लगातार हल्के-हल्के ‘पुश’ करते हुए उन्हें बाहर निकाल देते हैं।

पाइल्स के इलाज में ज्यादातर दी जाने वाली दवायें हैं – डॉक्टर बटलर, हेम-कंट्रोल, थेना नेचुरल वेलनेस, मदरलव ऑर्गेनिक रॉयड बाम, डोनट टेलबोन कुशन  इत्यादि।

पाइल्स या बवासीर के इलाज के लिये हर्बल उपाय करने के लिये आप विच हेज़ल, एलोवेरा, जीरा, अंजीर आदि सहज सुलभ औषधियों का उपयोग कर सकते हैं।

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पाइल्स यानी बवासीर में कारगर कुछ आसान घरेलू उपाय

पाइल्स के इलाज के लिये घरेलू या हर्बल उपाय करने के लिये आप विच हेज़ल, एलोवेरा, जीरा, अंजीर आदि सहज सुलभ औषधियों का उपयोग कर सकते हैं।

home remedies for piles in hindi

इन्हें प्रयोग करने का तरीका कुछ इस तरह है–

  • ऐलोवेरा – ऐलोवेरा में पाये जाने वाले एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण कमाल के होते हैं। इसका जूस या जेल पाइल्स पर इस्तेमाल करने से बहुत राहत मिलती है।
  • विच हेज़ल – बवासीर पर विच-हेजल का प्रयोग करने से जलन और खुजली में राहत मिलती है।
  • सूदिंग वाइप्स का इस्तेमाल– पाइल्स की दिक्कत होने पर आपके गुदा-मार्ग के आसपास स्थित की त्वचा काफी संवेदनशील हो जाती है, इसलिये मलत्याग के पश्चात् टॉयलेट-पेपर की बजाय ‘सूदिंग-वाइप्स’ का प्रयोग सही रहता है।
  • गर्म पानी से स्नान – पाइल्स की दिक्कत होने पर गर्म पानी से नहाना जलन में आराम पहुंचाता है।
  • बर्फ से सिंकाई – आइस पैक से या बर्फ को किसी कपड़े अथवा तौलिये में लपेटकर पाइल्स पर फिराने से बहुत राहत मिलती है।
  • अंजीर – सुबह खाली पेट अंजीर का सेवन करने से पाइल्स की समस्या दूर होती है।
  • नींबू और अदरक का रस बराबर मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से पाइल्स यानी बवासीर की दिक्कत से बहुत राहत मिलती है।
  • जीरा – जीरे को पानी में भिगोकर रख दें, और कुछ देर बाद छानकर पीस लें। अब इस लेप को पाइल्स के दानों पर लगायें। इसके अलावा, सूखा जीरा भूनकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से भी पाइल्स यानी बवासीर की समस्या से निजात मिल सकती है।

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पाइल्स में बचाव के उपाय और परहेज (Precautions in Piles)

  • पाइल्स की समस्या दूर करने में जितना इलाज महत्वपूर्ण है, उससे भी कहीं ज्यादा परहेज जरूरी होता है। अन्यथा किसी इलाज का कोई फर्क नहीं पड़ता।
  • इसलिये पाइल्स की दिक्कत होने पर आपको तेज मिर्च-मसाले वाली और तली-भुनी चीजें, मांसाहार, कैफ़ीन, डेयरी-प्रोडक्ट्स जैसी नुकसानदायक चीजें नहीं लेनी चाहिये।
  • बता दें कि पाइल्स की समस्या होने पर परहेज के दौरान जो एहतियात बरतने होते हैं, पाइल्स से बचाव के लिए भी बहुत कुछ वही जीवन-शैली अपनानी होती है।
  • यानी अगर आपको पाइल्स की आशंका है, तो तले-भुने और तेज मिर्च-मसाले वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनायें।

इन दवाओं के बारे में भी पढ़ें:-

निष्कर्ष (Conclusion)

बवासीर के प्रभावी उपचार के लिए जीवनशैली में बदलाव, ओवर-द-काउंटर दवाओं, चिकित्सा उपचार और, कुछ स्थितियों में सर्जरी के मिश्रण की आवश्यकता होती है।

लक्षणों की गंभीरता के आधार पर सर्वोत्तम कार्रवाई का निर्णय लेने के लिए एक चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है। बवासीर से परेशान लोग piles treatment in hindi को अपनाकर राहत पा सकते हैं, अपने जीवन की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं।

दोस्तों अभी हमने पाइल्स यानी बवासीर की समस्या पर विस्तार से बात की। आजकल की आपाधापी भरी जीवन-शैली में यह समस्या लोगों में ‘कॉमन’ होती जा रही है।

इसीलिए हमने यहां ‘डीटेल’ में इस बारे में बात की, कि पाइल्स क्या है! और पाइल्स के प्रकार, ग्रेड, लक्षण, कारण, जांच, बचाव की विधि, उपचार क्या-क्या हैं। उम्मीद है आप यहां दी गई जानकारी से संतुष्ट होंगे।

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