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Triphala Churna Uses & Benefits / Fayde in Hindi: उपयोग, फायदे व् नुक्सान

त्रिफला चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग हम कई बीमारियों से निजात पाने के लिए करते हैं आज हम आपको त्रिफला चूर्ण के बारे में संक्षेप में सब कुछ बताएंगे| त्रिफला चूर्ण के छुपे फायदे, नुकसान व इसे कैसे यूज़ करें यह सब कुछ आप इस पोस्ट के जरिए पढ़ेंगे|

त्रिफला चूर्ण क्या है (Triphala Churna in Hindi)

त्रिफला एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘तीन फलों वाला।’ आयुर्वेदिक औषधि ‘त्रिफला चूर्ण’ को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि इसके निर्माण में तीन फल शामिल होते हैं– आंवला, हरड़ और बहेड़ा।

triphala churna ke fayde aur nuksaan

साथ ही त्रिफला चूर्ण के सेवन के फलस्वरूप कफ-पित्त-वात तीनों दोषों का नाश होता है। इसलिये भी इसे त्रिफला चूर्ण कहा जाता है।

त्रिफला चूर्ण में शामिल घटक (Ingredients in Triphala Churna)

 जैसा कि हम जानते हैं, कि त्रिफला चूर्ण में आंवला, हरड़ और बहेड़ा नामक तीन फल शामिल हैं। अब हम इन तीनों के अलग-अलग औषधीय गुणों पर एक नजर डालते हैं –

ingredients of triphala churna in hindi

आंवला

आंवला त्रिफला चूर्ण का महत्वपूर्ण घटक है। आयुर्वेद में इसे अमृतफल भी कहा गया है। बता दें कि आंवले में विटामिन-सी की मात्रा किसी भी दूसरे फल से अधिक होती है।

amla in triphala churna

सौ ग्राम आंवले में करीब नौ सौ एमजी एस्कॉर्बिक एसिड यानी विटामिन-सी पाया जाता है। यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाता है, त्वचा को स्वस्थ और सुंदर बनाता है, और हृदय, लिवर व पाचन-तंत्र को भी बल प्रदान करता है।

आंवला एक महत्वपूर्ण एंटी-ऑक्सीडेंट है जो हमारे शरीर को ‘डिटॉक्स’ करता है।

हरड़

त्रिफला चूर्ण में शामिल हरड़ को आयुर्वेद में ‘हरीतकी’ कहा जाता है। बोलचाल की भाषा में लोगबाग इसे हर्रै भी कहते हैं। यह लिवर को स्वस्थ रखने, भूख बढ़ाने और पाचन-तंत्र की मजबूती के लिए एक महा-औषधि है।

harad benefits in hindi

वहीं हरड़ का उपयोग आंखों की सूजन दूर करने (ophthalmia), या मसूड़ों से खून आने जैसी समस्याओं में भी किया जाता है।

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बहेड़ा

बहेड़ा भी त्रिफला चूर्ण का एक आवश्यक घटक है। को आयुर्वेदिक संस्कृत में ‘विभीतकी’ कहते हैं। बहेड़ा में एंटी-बैक्टीरियल और दर्द-निवारक गुण पाए जाते हैं।

baheda herbs benefits in hindi

बहेड़ा के सेवन से हमारा इम्यून-सिस्टम मजबूत होता है, और यह बुखार कम करने, घाव भरने व डायरिया आदि में भी लाभदायक है। बता दें कि बहेड़ा एक उम्दा ‘हेयर-टॉनिक’ भी माना जाता है।

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि (How to make Triphala Churna at Home in Hindi)

हम जानते हैं कि त्रिफला चूर्ण हरड़, बहेड़ा और आंवला तीन फलों से मिलकर बनता है। बता दें कि त्रिफला चूर्ण में हरड़, बहेड़ा, और आंवला का अनुपात क्रमशः 1:2:4 का होता है।

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यानी त्रिफला चूर्ण के निर्माण के लिये अगर हम सौ ग्राम हरड़ लेते हैं, तो इसके साथ दो सौ ग्राम बहेड़ा और चार सौ ग्राम आंवले की जरूरत पड़ती है।

त्रिफला चूर्ण बनाने के लिये सबसे पहले हरड़, बहेड़ा और आंवला तीनों यथोचित मात्रा में लेकर उसे छाया में सुखा लें। इसके बाद तीनों को बारी-बारी किसी खरल में बारीक पीस लें, और इसे किसी साफ कपड़े से छानकर रख लें।

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अब आपका त्रिफला चूर्ण उपयोग के लिये तैयार है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे (Triphala Churna ke Fayde in Hindi)

त्रिफला चूर्ण का सेवन पाचन-तंत्र से संबंधित तमाम समस्याएं तो दूर करता ही है, इसके अलावा यह डायबिटीज, लिवर, हृदय और रक्तचाप से जुड़ी तमाम अन्य दिक्कतों में भी बहुत फायदा करता है।

triphala churna ke fayde in hindi

आइए थोड़ा विस्तार से देखते हैं, कि त्रिफला चूर्ण के क्या-क्या फायदे हैं –

पाचन-तंत्र मजबूत करे त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna strengthens your digestive system)

आजकल की ग़लत खानपान की शैली के चलते हमें पाचन-तंत्र से जुड़ी तमाम समस्यायें पैदा हो जाती हैं। त्रिफला चूर्ण का उपयोग इसमें बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।

रात को खाने के बाद और सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लेने पर पाचन-प्रणाली में काफी सुधार देखा जा सकता है। ‘इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम’ में भी त्रिफला चूर्ण बहुत काम करता है।

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आंखों के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे (Triphala Churna ke Aankhon ke liye fayde)

त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल हमारी आंखों के लेंस में एंटी-ऑक्सीडेंट ‘ग्लूटाथिओन’ का स्तर बढ़ा कर उसे जीवंत बनाता है, जिससे दृष्टि-क्षमता में सुधार होता है। त्रिफला चूर्ण को रात भर पानी में भिगोकर रखें, और सुबह छानकर उसी पानी से आंखों को धुलें।

इससे आंखों की लालिमा और मोतियाबिंद या फिर आंखों से चिपचिपा पदार्थ निकलने की समस्या में बहुत राहत मिलती है।

वजन कम करें त्रिफला चूर्ण से (weight loss by Triphala Churna)

त्रिफला चूर्ण के प्रभाव पर चल रहे अध्ययनों में पता चला है कि इसके सेवन से शरीर में ‘बैड-कोलेस्ट्रॉल’ की मात्रा कम होती है, और वजन घटता है।

इसलिये अगर आप भी वजन कम करना चाहते हैं, तो योग-व्यायाम आदि के साथ ही रोज सुबह-शाम गुनगुने पानी से त्रिफला चूर्ण का सेवन शुरू कर दें, और असर देखें।

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कब्ज दूर करने में रामबाण त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna in constipation)

कब्ज की समस्या होने पर रोज रात खाने के बाद एक चम्मच त्रिफला चूर्ण दूध या गुनगुने पानी के साथ लेने पर कुछ दिन में कब्ज या गैस आदि पेट संबंधी समस्या जड़ से खत्म हो जाती है। त्रिफला में पाया जाने वाला टैनिक और गैलिक एसिड कब्ज दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

त्रिफला चूर्ण के अन्य फायदे (other benefits of Triphala Churna)

उपरोक्त वर्णित स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें दूर करने के अलावा त्रिफला चूर्ण के और भी कई लाभ हैं। त्रिफला चूर्ण का प्रयोग हृदय और रक्तचाप जैसी दिक्कतों में, वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण में, रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में और डायबिटीज़ आदि समस्याओं से राहत पाने के लिये किया जा सकता है। इसके अलावा आप यहां पर अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे तथा उपयोग के बारे में पूरी जानकारी विस्तार सहित हासिल कर सकते हैं।

त्रिफला चूर्ण की खुराक (Dosage of Triphala Churna)

किसी भी दवा अथवा औषधि के प्रयोग का पूरा लाभ तभी मिलता है, जब हम उसकी खुराक सही मात्रा में नियमित रूप से सेवन करें।

त्रिफला चूर्ण के सेवन में यह ज्यादातर इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस स्वास्थ्यगत उद्देश्य से इसका उपयोग करना चाहते हैं।

जैसे कि, डायबिटीज़ की दिक्कत दूर करने के लिये त्रिफला चूर्ण की पांच ग्राम मात्रा पैंतालीस दिन तक लगातार नियमित रूप से लेने को अक्सर वैद्य या डॉक्टर सलाह देते हैं।

जबकि त्वचा के स्वास्थ्य के नजरिए से रोजाना खाने से पहले दोनों समय पांच ग्राम मात्रा में त्रिफला चूर्ण का सेवन करना हितकारी होता है।

इसलिये बेहतर है कि त्रिफला चूर्ण का सेवन डॉक्टर या वैद्य के दिशानिर्देश में किया जाय। अन्यथा हमें त्रिफला के सेवन से फायदे की बजाय नुकसान भी हो सकता है।

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त्रिफला चूर्ण से होने वाले नुकसान (Side effects of Triphala Churna)

हालांकि त्रिफला ‘हर्बल’ चूर्ण के दुष्प्रभावों की संभावना न के बराबर होती है। पर अति हर जगह नुकसानदायक ही होती है। तो आइये देखें कि त्रिफला चूर्ण के अनर्गल इस्तेमाल से हमें कौन-कौन से साइड-इफेक्ट्स दिख सकते हैं –

त्रिफला-चूर्ण-से-होने-वाले-नुकसान

  1. त्रिफला चूर्ण में मौजूद हरड़ की वजह से, इसका सेवन करने से डिप्रेशन आदि के लिए ली जाने वाली दवा का असर कम हो जाता है,
  2. त्रिफला का इस्तेमाल यकृत अर्थात् लिवर की कोशिकाओं में मौजूद एक महत्वपूर्ण एंजाइम – ‘साइटोक्रोम p450’ की सक्रियता कम कर देता है,
  3. गर्भावस्था में स्त्रियों को त्रिफला चूर्ण का सेवन डॉक्टरी सलाह के बिना नहीं करना चाहिये,
  4. चूंकि त्रिफला चूर्ण में ‘एंटी-डायबिटिक’ गुण भी होते हैं, इसलिये ‘लो-ब्लडप्रेशर’ के मरीजों को त्रिफला चूर्ण नहीं लेना चाहिये,
  5. कभी-कभी डायरिया में भी त्रिफला चूर्ण का प्रभाव नुकसानदायक होता है।

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निष्कर्ष – Conclusion

अब तक कई परिचर्चा में हम त्रिफला चूर्ण में छिपे औषधीय रहस्यों से परिचित हुए। त्रिफला का इस्तेमाल गुनगुने पानी या शहद के साथ करना सबसे मुफ़ीद रहता है।

आप इसे नींबू के साथ या त्रिफला-चाय के रूप में भी ले सकते हैं। इसके अलावा अब तो बाजार में त्रिफला चूर्ण की गोलियां व कैप्सूल्स भी उपलब्ध हैं।

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